“स्वमिज्ञा आयुर्वेद”
“दमाकफ चूर्ण”
अस्थमा (दमा) सांस से जुड़ी बीमारी है, जिसमें मरीज को सांस लेने में तकलीफ
होती है। इस बीमारी में सांस की नली में सूजन या पतलापन आ जाता है। इससे
फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव महसूस होता है। ऐसे में सांस लेने पर दम फूलने लगता
है, खांसी होने लगती है और सीने में जकड़न के साथ-साथ घर्र-घर्र की आवाज आती
है। अस्थमा किसी भी उम्र में हो सकता है ।
अस्थमा (दमा) एक बार किसी को हो जाए तो जिंदगी भर रहता है। हां, वक्त
पर इलाज और आगे जाकर ऐहतियात बरतने पर इसे काबू में किया जा सकता है।
क्या है अस्थमा
अस्थमा (दमा) सांस से जुड़ी बीमारी है, जिसमें मरीज को सांस लेने में तकलीफ
होती है। इस बीमारी में सांस की नली में सूजन या पतलापन आ जाता है। इससे
फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव महसूस होता है। ऐसे में सांस लेने पर दम फूलने लगता
है, खांसी होने लगती है और सीने में जकड़न के साथ-साथ घर्र-घर्र की आवाज आती
है। अस्थमा किसी भी उम्र में हो सकता है ।
लक्षणों के आधार पर अस्थमा दो तरह का होता हैः बाहरी और आंतरिक अस्थमा।
बाहरी अस्थमा परागकणों, पशुओं, धूल, गंदगी, कॉकरोच आदि के कारण हो सकता
है, जबकि आंतरिक अस्थमा कुछ केमिकल्स के शरीर के अंदर जाने से होता है।
इसकी वजह प्रदूषण, सिगरेट का धुआं आदि होता है। आमतौर पर इस बीमारी का
मुख्य असर मौसम के बदलाव के साथ दिखता है।
लक्षण
•सांस फूलना
•लगातार खांसी आना
•छाती घड़घड़ाना यानी छाती से आवाज आना
•छाती में कफ जमा होना
•सांस लेने में अचानक दिक्कत होना
बीमारी की वजहें
जनेटिकः यह जनेटिक वजहों से भी हो सकती है। अगर माता-पिता में से किसी को
भी अस्थमा है तो बच्चों को यह बीमारी होने की आशंका होती है। अगर माता-पिता
दोनों को अस्थमा है तो बच्चों में इसके होने की आशंका 50 से 70 फीसदी और एक
में है तो करीब 30-40 फीसदी तक होती है।
एयर पलूशन: अस्थमा अटैक के अहम कारणों में वायु प्रदूषण भी है। स्मोकिंग, धूल,
कारखानों से निकलने वाला धुआं, धूप-अगरबत्ती और कॉस्मेटिक जैसी सुगंधित
चीजों से दिक्कत बढ़ जाती है।
स्मोकिंग: सिगरेट पीने से भी अस्थमा अटैक संभव है। एक सिगरेट भी मरीज को
नुकसान पहुंचा सकती है।
तनाव: चिंता, डर, खतरे जैसे भावनात्मक उतार-चढ़ावों से तनाव बढ़ता है। इससे
सांस की नली में रुकावट पैदा होती है और अस्थामा का दौरा पड़ता है।
योग और घरेलू नुस्खे
अस्थमा में गर्म पानी का सेवन लाभदायक होता है और इससे आराम मिलता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि योग और प्राकृतिक चिकित्सा में दमा का कोई स्थायी
समाधान नहीं है। हां, इसे नियंत्रित किया जा सकता है। योग की मदद से आप
तनाव-रहित जंदगी जी सकते हैं। यह इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने का भी काम
करता है।
अगर दमाकफ को नियंत्रण मै रखना है तो दमाकफ चूर्ण ले सकते है| इस से बहुत सी
परेशानी कम होती है| इस चूर्ण के कोई भी साईड इफेक्ट्स नाही है| ये चूर्ण
आयुर्वेदिक वनस्पतीयो से बनाया गया है|इसे इस्तमाल करने मै कोई भी दिक्कत
नही|
दमाकफ चूर्ण कैसे ले : दो अंगुलियों की चुटकी में चूर्ण को दिन में 6 से 8 बार मुंह में
छोड़ने के उसे खाये| चूर्ण को खाणे के बाद 10 मिनट तक पर्याप्त पानी न पिएं।
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