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अमृतधारा Amrit Dhara

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अमृतधारा
अमृतधारा Amrit Dhara आम तकलीफों के लिए घर पर रखी जाने वाली दवा में से एक है । घर की प्राथमिक  चिकित्सा के लिए इसका घर में होना आवश्यक है । यह एक आयुर्वेदिक दवा है .
अमृतधारा प्रभावकारी होने के साथ ही कई प्रकार की छोटी मोटी परेशानियों में काम आती है। लम्बे समय से इसका उपयोग सफलता पूर्वक किया जाता रहा है। इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है।
इसे आसानी से घर पर बनाया जा सकता है। आइये देखें अमृत धारा कैसे बनाते है और अमृत धारा से किस प्रकार की तकलीफ मिट सकती है यानि अमृत धारा क्या काम आती है।
अमृतधारा बनाने की सामग्री
अजवाइन सत                          50  ग्राम
कपूर सत                               50  ग्राम
पुदीना सत                              50  ग्राम
ये सभी वस्तुएं ठोस अवस्था में मिलती है। इन्हे मिलाने पर ये तीनो द्रव अवस्था में बदल जाती हैं।
अमृतधारा बनाने का तरीका
—  अमृतधारा बनाने के लिए एक काँच की बोतल को गर्म पानी से धोकर सूखा लें।
—  अब इस साफ बोतल में अजवाईन सत , कपूर सत व पुदीना का सत डालकर ढक्कन टाईट बन्द कर दें।
—  काँच की शीशी में सारा सामान मिलाकर हिला लें।
—  थोड़ी देर में सारा सामान पिघल जाएगा इन्हें हिलाकर अच्छी तरह मिक्स कर लें।
—  अमृतधारा बनकर तैयार हैं। जब भी उपयोग में लेना हो तो हिलाकर जरूरत के अनुसार कुछ बूंदे काम में ले सकते हैं।
—  अमृतधारा बनाने के लिए तीनो सामग्री बनाने के लिए ठोस अवस्था में मिलती हैं इन्हें गरम करने की या पीसने जरूरत नहीं पड़ती ये स्वतः ही आपस में मिलकर पिघल जाती है इन्हें आपको सिर्फ मिलाना होता है।
अमृतधारा के फायदे और उपयोग
—  गर्मी के मौसम में अमृत धारा का उपयोग लाभ देता है। इसके उपयोग से लू लगने से बचाव हो सकता है। इसके लिए बाहर जाते समय आधा गिलास पानी में चार बूँद मिलाकर पीना चाहिए।
इसे आधा चम्मच चीनी में मिलाकर भी ले सकते हैं। लू लगने के बाद भी दिन में दो तीन बार अमृतधारा लेने से बहुत लाभ होता है।
—  हिचकी बन्द नही हो तो एक चीनी पताशा में तीन बून्द अमृतधारा डालकर थोड़ी थोड़ी देर से लेने से आराम आ जाता हैं।
—  चक्कर आना , जी घबराना , थकान व  शरीर से बहुत अधिक पसीना निकलने पर भी अमृत धारा  की कुछ बूंदे व एक पिसी इलायची को आधा गिलास पानी में डालकर लेने से बहुत लाभ होता हैं।
—  उलटी दस्त होने पर अमृतधारा की पाँच बूंदे एक चम्मच प्याज के रस के साथ दिन में तीन से चार बार लगातार तीन चार दिन तक लेने से आराम आ जाता हैं।
— पेटदर्द , गैस , पेट में भारीपन , दस्त , उलटी आदि में आधा गिलास पानी में चार -पांच बूँदे डालकर लेने लाभ होता हैं।
—  जुकाम होने पर एक रुमाल में कुछ बूँदे डालकर थोड़ी थोड़ी देर में सूंघते रहे थोड़ी देर में राहत महसूस होने लगेगी। गर्म पानी में चार बून्द डाल कर भाप लेने से बन्द नाक भी खुल जाती हैं।
—  एक कटोरी तिल के तेल में पांच -छः  बून्द अमृतधारा डालकर मिला ले। इस तेल को जोड़ो के दर्द व सूजन वाली जगह लगाने से आराम मिलता हैं।
—  दांत में दर्द हो रहा हो तो Amrat dhara रूई में लगाकर दर्द वाले दांत पर लगाने से आराम मिलता हैं।
—  ततैया , मच्छर , चींटी आदि कीड़ो के काटने वाली जगह पर रुई से लगाने पर सूजन व दर्द में आराम मिल जाता हैं।
—  अमृतधारा को नारियल के तेल में मिलाकर स्किन पर लगाने से मच्छर नहीं काटते हैं।
अमृतधारा कैसे लेनी चाहिए
—  अमृतधारा दिन में तीन से चार बार ले सकते हैं यदि तकलीफ ज्यादा हो तो एक- एक घण्टे से भी ले सकते हैं।
— अमृतधारा वयस्क  3 – 4 बून्द पानी आधा गिलास पानी के साथ मिलाकर लें सकते हैं यदि पानी के साथ नहीं ले पाए तो एक चम्मच चीनी में या एक शक्कर पताशा  Patasha में कुछ बूंदे अमृत धारा डालकर भी ले सकते हैं।
—  यदि तकलीफ ज्यादा है तो 4 – 5 बुँदे ले सकते है। छोटे बच्चो को एक बून्द से ज्यादा नहीं देना चाहिए।
 अमृतधारा कब नहीं लें
वैसे तो यह एक आर्युवेदिक दवाई है अतः इसके कोई नुकसान नहीं हैं , फिर भी कुछ परिस्थियों में इन्हें नहीं लेना चाहिए।
—  नवजात शिशु व एक साल से छोटे बच्चों को नहीं देना चाहिए।
—  किसी भी सर्जरी के तुरत पहले या बाद चिकित्सक परामर्श के बिना नहीं देना चाहिए।
—  आँख , नाक या कान में नहीं डालना चाहिए।
—  इसकी अधिक मात्रा से इसका तीखापन नुकसान पहुँचा सकता हैं , अतः बच्चो से इसे दूर रखे।
— हमेशा ढक्कन टाइट बन्द करके रखें।
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स्वामिज्ञा आयुर्वेद
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